ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया
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जादू है उनकी हर एक बात मैं,
याद बहुत आती है दिन और रात मैं
कल जब देखा था सपना मैने रात मैं,
तब भी उनका ही हाथ था मेरा हाथ मैं?
||2||
जिस शाम बरसते है तेरी याद के बादल,
उस वक्त कोई भी हिजर का तारा नहीं होता
यु ही मेरे पहलु मैं चले आते हैं अक्सर,
वो दर्द जिन्हे मैने कभी पुकारा नहीं होता ?